Wednesday, 27 September 2023

#अनन्त #चतुर्दशी

#अनंतचतुर्दशी!! 
अनंतसूत्र के 14 गांठ का रहस्य
            
                ॐ श्रीं अनंताय नमः

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा
बहुत समय पहले एक तपस्वी ब्राह्मण था, जिसका नाम सुमंत और पत्नी का नाम दीक्षा था। उनकी सुशीला नाम की एक सुंदर और धर्मपरायण कन्या थी। जब सुशीला कुछ बड़ी हुई तो उसकी मां दीक्षा की मृत्यु हो गई। तब उनके पिता सुमंत ने कर्कशा नाम की स्त्री से विवाह कर लिया। कुछ समय बाद ब्राह्मण सुमंत ने अपनी पुत्री सुशीला का विवाह ऋषि कौंडिण्य के साथ करा दिया। विवाह में कर्कशा ने विदाई के समय अपने जवांई को ईंट और पत्थर के टुकड़े बांध कर दे दिए। ऋषि कौडिण्य को ये व्यवहार बहुत बुरा लगा, वे दुखी मन के साथ अपनी सुशीला को विदा कराकर अपने साथ लेकर चल दिए, चलते-चलते रात्रि का समय हो गया।

तब सुशीला ने देखा कि संध्या के समय नदी के तट पर सुंदर वस्त्र धारण करके स्त्रियां किसी देवता का पूजन कर रही हैं। सुशीला ने जिज्ञाशावश उनसे पूछा तो उन्होंने अनंत व्रत की महत्ता सुनाई, तब सुशीला ने भी यह व्रत किया और पूजा करके चौदह गांठों वाला डोरा हाथ में बांध कर ऋषि कौंडिण्य के पास आकर सारी बात बताई। ऋषि ने उस धागे को तोड़ कर अग्नि में डाल दिया। इससे भगवान अनंत का अपमान हुआ। परिणामस्वरुप ऋषि कौंडिण्य दुखी रहने लगे। उनकी सारी सम्पत्ति नष्ट हो गई और वे दरिद्र हो गए।
एक दिन उन्होंने अपनी पत्नी से कारण पूछा तो सुशीला ने दुख का कारण बताते हुए कहा कि आपने अनंत भगवान का डोरा जलाया है। इसके बाद ऋषि कौंडिण्य को बहुत पश्चाताप हुआ, वे अनंत डोरे को प्राप्त करने के लिए वन चले गए। वन में कई दिनों तक ऐसे ही भटकने के बाद वे एक दिन भूमि पर गिर पड़े। तब भगवान अनंत ने उन्हें दर्शन दिया और कहा कि तुमने मेरा अपमान किया, जिसके कारण तुम्हें इतना कष्ट उठाना पड़ा, लेकिन अब तुमने पश्चाताप कर लिया है, मैं प्रसन्न हूं तुम घर जाकर अनंत व्रत को विधि पूर्वक करो। चौदह वर्षों तक व्रत करने से तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जांएगे और तुम दोबारा संपन्न हो जाओगे। इस प्रकार ऋषि कौंडिण्य ने विधि पूर्वक व्रत किया और उन्हें सारें कष्टों से मुक्ति प्राप्त हुई।
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    अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के बाद बाजू में बांधे जाने वाले अनंत सूत्र में चौदह गांठ होती है. शास्त्रों के अनुसार, ये 14 गांठ वाले सूत्र को 14 लोकों ( भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक) का प्रतीक माना जाता है. अनंत सूत्र के प्रत्येक गांठ प्रत्येक लोक का प्रतिनिधित्व करते हैं.
साथ ही इसे भगवान विष्णु के 14 रूपों (अनंत, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द) का भी प्रतीक माना गया है.
कहा जाता है कि,14 लोकों की रचना के बाद इनके संरक्षण व पालन के लिए भगवान 14 रूपों में प्रकट हुए थे और अनंत प्रतीत होने लगे थे. इसलिए अनंत को 14 लोक और भगवान विष्णु के 14 रूपों का प्रतीक माना गया है. 

इतना ही नहीं रेशम या कपास से बना यह सूत्र आपकी रक्षा भी करता है. इसलिए इसे रक्षाकवच कहा जाता है।पूजा के बाद इसे बाजू में बांधने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है और पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं. 

मान्यता है कि, जो व्यक्ति पूरे 14 वर्ष तक अनंत चतुर्दशी का व्रत करता है, पूजा-पाठ करता है और चौदह गांठ वाले इस अनंत सूत्र को बांधता है उसे भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ की प्राप्ति होती है. 
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अनंत चतुर्दशी के उपाय

अनंत चतुर्दशी के दिन कलाई पर चौदह गांठ युक्त रेशमी धागा जरूर बांधें। इस धागे को अनंतसूत्र कहा जाता है।मान्यता है कि विधिवत पूजा करके कलाई पर धागा बांधने से आत्मविश्वास में वृद्धि और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
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   लक्ष्मी प्राप्ति के लिए 21 कमल गट्टे को गाय के घी में डुबोकर पवित्र अग्नि में निम्न लिखित मंत्र से आहुति अवश्य दें। मंत्र:- ॐ श्रीं अनंताय नमः स्वाहा। 
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यदि आप मुसीबतों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो अनंत चतुर्दशी के दिन 14 लौंग लगा हुआ लड्डू सत्यनारायण भगवान को चढ़ाएं। पूजा के बाद इसे किसी चौराहे पर रख दें। ऐसा करने से मुसीबतें आपसे दूर रहेंगी।
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यदि आप या आपके परिवार का कोई सदस्य किसी पुरानी बीमारी से ग्रसित है, तो अनंत चतुर्दशी के दिन अनार उसके सिर से वार कर भगवान सत्य नारायण के कलश पर चढ़ाएं और फिर इसे किसी गाय को खिला दें। ऐसा करने से पुराना से पुराना रोग जल्दी ही ठीक होगा।
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अनंत चतुर्दशी के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करें। साथ ही कलश पर 14 जायफल रखें। पूजा समाप्त होने के बाद इन जायफल को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से पुराना से पुराना विवाद भी खत्म हो जाता है।
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