"सर्वकार्य लाभ प्रदाता यंत्र"
लाभ यन्त्र का निर्माण करने के लिए आपके पास होना चाहिए -
भोजपत्र या तांबे का पत्र (small copper plate) , चमेली की कलम या स्वर्ण शलाका (सोने की सींक) स्याही के लिए अष्टगंध को गुलाब जल में घोल लें ।
नवरात्रि में कलश कलश स्थापना कर दुर्गा पूजा यदि आप करते हैं तो, अति उत्तम है।
यदि आप कलश स्थापना नहीं करते हैं तो, अपनी दैनिक पूजा के बाद "राहुकाल" छोड़कर किसी भी समय आप इस यंत्र को लिखने का कार्य कर सकते हैं।
यंत्र इस प्रकार है-
लिखने के बाद इस यंत्र को एक आसान श्वेत (white cloth) पर स्थापित करें।
उपलब्ध है तो धूप दीप नैवेद्य पुष्प से पूजा करें।
मानसिक पंचोपचार पूजन भी कर सकते हैं।
पूजन के बाद साढ़े बारह हजार निम्न मंत्र का जाप करें,
मंत्र है-
॥ॐ ह्रीं श्रीं सर्वकार्य लाभ फलदायक कुरु कुरु स्वाहा ॥
इस यंत्र की सिद्धि सवा लाख मंत्र जाप से होती है।
इस यंत्र सिद्धि हेतु आप नवरात्रि के अतिरिक्त शुक्ल पक्ष में सिद्ध मुहूर्त देखकर भी यंत्र लेखन और मंत्र जाप कर सकते हैं।
सिद्ध करने के बाद यंत्र को सदैव अपने पास पर्स, बटुआ, ताबीज में जो भी आपके लिए सुविधाजनक हो; उसमें रखकर हमेशा अपने साथ रखें।
यदि आपको अकस्मात प्रसुति गृह या दाह संस्कार में जाना पड़ गया तो,
घर जाकर स्नान करके यंत्र को धूप दीप दिखाकर ग्यारह (11) बार उपरोक्त मंत्र का जाप कर लें।
इस प्रकार आपका यंत्र पुनः शुद्ध हो जाएगा।
॥प्रेम से बोलिए गणेश भगवान की जय॥
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