श्रद्धा है या विश्वास करते हैं?
👉 साधना अनुष्ठान में ,पूजा पाठ करने से, व्रत उपवास करने से मेरी अभीष्ट की सिद्धि क्यों नहीं होती है?
यह प्रश्न लेकर के लोग अपने गुरुजनों से या अपने वरिष्ठ गुरु भाई बहनों से पूछते रहते हैं कि, मैंने इतना सारा मंत्र जप किया, इतने लाख मंत्र जप किया...
😐लेकिन मुझे सिद्धि क्यों नहीं मिली ? यह मंत्र मुझे सिद्ध क्यों नहीं हुआ?
इसका उत्तर स्वयं आपके पास में है-
👉 हां! इसका उत्तर तो आपके ही पास में है।
अब आप पूछेंगे कि हमारे पास उत्तर है तो हमें क्यों नहीं पता है…🤔
🙏 तो इसके लिए आप स्वयं से पूछिए कि - आप जो भी मंत्र-अनुष्ठान कर रहे हैं, पूजा-पाठ, व्रत-उपवास कर रहे हैं, उस पर आप "श्रद्धा रखते हैं या विश्वास करते हैं?"
👉 निश्चित रूप से आप श्रद्धा रखते हैं परन्तु विश्वास नहीं करते हैं ...
👉क्योंकि जो भी आराधक विश्वास करता है, उसके मन में ऐसा प्रश्न उठ ही नहीं सकता है ।
👉श्रद्धा रखने वाले के मन में यह भाव होता है कि, हम इस भगवान की पूजा करेंगे , यह मंत्र अनुष्ठान करेंगे तो, हमारे समस्याओं का समाधान मिलेगा, हमें धन की प्राप्ति होगी, हमारे बिगड़े काम बन जायेंगे और न जाने क्या-क्या चीजें … भौतिक रूप से यही बात - यही भाव लेकर के व्यक्ति पूजा पाठ मंत्र अनुष्ठान आदि करते हैं | प्रायः ऐसा ही सुनने में आता है।
👉और आध्यात्मिक क्षेत्र में लोग अपने आत्मोन्नति के लिए मंत्र जप करते हैं, अनुष्ठान करते हैं, ध्यान की क्रिया इत्यादि करते हैं , लेकिन उनके ----- बहुत सारे लोगों के मन में इस प्रकार का प्रश्न उठता ही है।
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