Saturday, 25 May 2024

#नारदजयंती

#नारदजयंती 
भगवान की भक्ति प्राप्त करने का यह सबसे श्रेष्ठ दिवस माना जाता है । 
इस दिन नारायण नाम का जप करें -
"जप मंत्र" 
१_ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
२_ॐ नमो नारायणय।
३_ॐ ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नम:!

       हिन्दूपंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष ज्येष्ठमाह में कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है।
नारद मुनि के एक हाथ में वीणा है और दूसरे हाथ में भी वाद्य यंत्र है. ऋषि नारद मुनि प्रकाण्ड विद्वान थे। वह हर समय नारायण-नारायण का जप किया करते हैं। नारायण विष्णु भगवान का ही एक नाम है। 
 नारद मुनि को देवताओं का संदेशवाहक कहा जाता है. वह तीनों लोकों में संवाद का माध्यम बनते थे। ऋषि नारद मुनि भगवान विष्णु के अनन्य भक्त और परमपिता ब्रह्मा जी की मानस संतान माने जाते हैं। ऋषि नारद भगवान नारायण के भक्त हैं, जो भगवान विष्णु जी के रूपों में से एक हैं।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन नारद जी की पूजा आराधना करने से भक्‍तों को बल, बुद्धि और सात्विक शक्ति की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, नारद मुनि ब्रह्माजी के मानस पुत्र हैं।

ब्रह्माजी का मानस पुत्र बनने के लिए उन्होंने पिछले जन्म में कड़ी तपस्या की थी। कहा जाता है कि पूर्व जन्म में नारद मुनि गंधर्व कुल में पैदा हुए थे और और उन्हें अपने रूप पर बहुत ही घमंड था।पूर्व जन्म में उनका नाम उपबर्हण था। एक बार कुछ अप्सराएं और गंधर्व गीत और नृत्य से भगवान ब्रह्मा की उपासना कर रही थीं।तब उपबर्हण स्त्रियों के साथ श्रृंगार भाव से वहां आए। ये देख ब्रह्माजी अत्यंत क्रोधित हो उठे और उपबर्हण को श्राप दे दिया कि वह 'शूद्र योनि' में जन्म लेगा।

ब्रह्माजी के श्राप से उपबर्हण का जन्म एक शूद्र दासी के पुत्र हरिदास के रूप में हुआ। वे सन्तों की सेवा में लगे रहे तभी एक संत गुरु ने उन्हें मंत्र दिया। 

विशेष मंत्र:-ॐ नमो भगवते तुभ्यं वासुदेवाय धीमहि प्रधुम्मनायनिरूद्धाय नमः संकर्षणाय च।।
 
बालक ने अपना पूरा जीवन ईश्वर की भक्ति में लगाने का संकल्प लिया और ईश्वर को जानने और उनके दर्शन करने की इच्छा पैदा हुई।बालक के लगातार तप के बाद एक दिन अचानक बाल कृष्ण की झलक दिखी और आकाशवाणी हुई, 

हे बालक! इस जन्म में आपको भगवान के दर्शन दुबारा नहीं होंगे बल्कि अगले जन्म में आप उनके पार्षद के रूप उन्हें एक बार फिर प्राप्त कर सकेंगे।और 

भगवान केे पार्षद बने।और उनको वीणा उपहार में प्राप्त हुई। तव से सभी लोकों में भ्रमण  करते हुए नारायण नारायण की ध्वनि करते भगवान का संदेश दे ते रहते हैं।

नारद जी की वीणा के स्वर,भक्ति रस के रहस्य से युक्त हैं। आजके दिन श्री भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण के मंदिर में एक बांसुरी जरूर भेट करें। गीता में भगवान ने कहा है "देवर्षिणाम् च नारद" २४ अवतारों में नारद जी भी आते हैं। वे अपनी वीणा बजाते हरि नाम का संकीर्तन करते हुए भक्ति रस के संगीत से तीनों लोकों के जीवों को तारने का कार्य करते हैं । 
#नारद जयंती की पूजा-विधि
        स्नान करने के बाद चाहे तो व्रत का संकल्प करें, नहीं तो साफ-सुथरा वस्त्र पहन कर पूजा-अर्चना करें। नारद मुनि को चंदन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, फूल अर्पित करें। शाम को पूजा करने के बाद, भक्त भगवान विष्णु की आरती करें। दान पुण्य का कार्य करें। गरीब ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें कपड़े और अन्न दान करें।
कहा जाता कि वाल्मीकि जी को रामायण लिखने की प्रेरणा और वेद्व्यास जी को देवीभागवत की रचना करने की प्ररेणा भी नारद जी ने ही दी थी । ध्रुव और प्रह्लाद, राजा अम्बरीष को भक्ति मार्ग का उपदेश, भक्ति के रहस्य और सूत्र भी बताये थे । 
 
     ।।ॐ नमो नारदाय !!

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