Monday, 1 August 2022

नाग पंचमी पर्व पर विशिष्ट प्रयोग

श्रावण में भगवान शिव का पूजन अभिषेक के साथ ही पंचमी पर नाग देवता की भी पूजा की जाय तो, ‌सर्प भय का नाश होता है और रक्षा होती है।
।।नवनाग स्तोत्र ll

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं,
शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा,
एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं
सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत।
।।इतिश्री नवनाग स्त्रोत्रं सम्पूर्णं।। 

☄️ भोग:-नाग देवता की प्रसन्नता के लिए इस दिन खीर बनाकर पूजन कर भोग लगाकर किसी पेड़ की नीचे खीर रख दें।
( विशेष बात: ये खीर सिर्फ नाग देवता के लिये होती है इसे भूलकर भी स्वयम न खायें न ही बच्चों या किसी अन्य व्यक्ति को दें, इसलिए थोड़ी ही बनाएं और भगवान को अर्पित कर दें)

☄️कालसर्प योग एवम राहु केतु शांति हेतु:-
चांदी और तांबे के 1-1 जोड़ी सर्प लेकर नाग देवता मन्दिर में अर्पण करें। दूध से अभिषेक एवं चन्दन का तिलक कर भोग अर्पण करें।
नाग मन्दिर न हो तो शिव लिंग पर इन्हें चढ़ाकर ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र से यथा सम्भव अधिकाधिक जप करते हुए अभिषेक करें।

☄️ नागदेवता कृपाप्राप्ति मंत्र :-
निम्न मंत्र का जप करते हुए सांप की बावीं या किसी बड़े वृक्ष जिसके नीचे बिल या कोटर हो मिट्टी के पात्र में दूध चढ़ाएं।
‘सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।’
अर्थात् – संपूर्ण आकाश, पृथ्वी, स्वर्ग, सरोवर-तालाबों, नल-कूप, सूर्य किरणें आदि जहां-जहां भी नाग देवता विराजमान है। वे सभी हमारे दुखों को दूर करके हमें सुख-शांतिपूर्वक जीवन दें। उन सभी को हमारी ओर से बारंबार प्रणाम…।

☄️नाग गायत्री मंत्र :-
ॐ भुजंगेशाय विद्महे सर्पराजाय धीमहि तन्नो नाग प्रचोदयात।।


☄️ भय नाश एवं रक्षा हेतु:-

।।श्री नागस्तोत्र।।
अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च।
सुमन्तुजैमिनिश्चैव पञ्चैते वज्रवारका:॥१
मुने: कल्याणमित्रस्य जैमिनेश्चापि कीर्तनात्।
विद्युदग्निभयं नास्ति लिखितं गृहमण्डल॥२
अनन्तो वासुकि: पद्मो महापद्ममश्च तक्षक:।
कुलीर: कर्कट: शङ्खश्चाष्टौनागा: प्रकीर्तिता:॥३
यत्राहिशायी भगवान् यत्रास्ते हरिरीश्वर:।
भङ्गो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा॥४

॥इति श्रीनागस्तोत्रम् सम्पूर्णम्॥
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☄️ सर्पभयनाशक "मनसास्तोत्र"
महाभारत में जब राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने तक्षक से बदला लेने के लिए सर्पनाश का यज्ञ किया तो सब सांप मरने लगे , उस समय उन्हें आस्तिक नामक मुनि ने बचाया जो भगवान शिव की मानस पुत्री मनसा देवी के पुत्र थे।

मनसा देवी के इस स्तोत्र का पाठ करने से सर्प दंश से रक्षा होती है और मनसा देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

।।ध्यानः।।
चारु-चम्पक-वर्णाभां, सर्वांग-सु-मनोहराम्।
नागेन्द्र-वाहिनीं देवीं, सर्व-विद्या-विशारदाम्।।

।। मूल-स्तोत्र ।।

नमः सिद्धि-स्वरुपायै, वरदायै नमो नमः।
नमः कश्यप-कन्यायै शंकरायै नमोनमः।।
बालानां रक्षण-कर्त्र्यै नागदेव्यै नमोनमः।
नमः आस्तीकमात्रे ते, जरत्कार्व्यै नमोनमः।।
तपस्विन्यै च योगिन्यै, नागस्वस्रे नमोनमः।
साध्व्यै तपस्या-रुपायै शम्भु शिष्येच तेनमः।।

।। फल-श्रुति ।।
इति ते कथितं लक्ष्मि ! मनसाया स्तवं महत्।
यः पठति नित्यमिदं, श्रावयेद् वापि भक्तितः।।
न तस्य सर्प-भीतिर्वै, विषोऽप्यमृतं भवति।
वंशजानां नाग-भयं, नास्ति श्रवण-मात्रतः।।

यह मनसा देवी का महान् स्तोत्र कहा है। जो नित्य भक्ति-पूर्वक इसे पढ़ता या सुनता है – उसे साँपों का भय नहीं होता और विष भी अमृत हो जाता है। उसके वंश में जन्म लेनेवालों को इसके श्रवण मात्र से साँपों का भय नहीं होता।

☄️"मनसादेवी द्वादशनाम स्तोत्र"
      जो पुरुष पूजा के समय इन बारह नामों का पाठ करता है, उसे तथा उसके वंशज को भी सर्प का भय नहीं हो सकता। इन बारह नामों से विश्व इनकी पूजा करता है। उसके सामने उग्र से उग्र सर्प भी शांत हो जाता है।

जरत्कारुर्जगद्गौरी मनसा सिद्धयोगिनी।
वैष्णवी नागभगिनी शैवी नागेश्वरी तथा।। 
जरत्कारुप्रियाऽस्तीकमाता विषहरेति च।
महाज्ञानयुताचैव सा देवी विश्वपूजिता।।
द्वादशैतानि नामानि पूजाकाले तु यः पठेत्।
तस्य नागभयं नास्ति तस्य वंशोद्भवस्य च।।

☄️ कन्या के विवाह हेतु:-
        जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा हो वे नाग देवता के मंदिर में ऐसी प्रतिमा जिसमें नाग नागिन का जोड़ा हो या दो नाग सम्मुख आलिंगन बद्ध यानी लिपटे हुए हों, उनका देवी एवं देवता का अलग अलग श्रृंगार चढ़कर कर विधि विधान से पूजन करवाएं।

🙏 जय हो आचार्य गुरुजनों का


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