Friday, 11 July 2025

#श्रीमहाकालस्तोत्रम्

#श्रीमहाकालस्तोत्रम्!!
'काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का'
      
प्रतिदिन बस एक बार इस स्तोत्र का पाठ भक्त के भीतर नई ऊर्जा और शक्ति का संचार कर सकता है। इस स्तोत्र का जाप आपको हर हालत में सफलता प्रदान करने की क्षमता रखता है।
महाकाल स्तोत्र का नित्य पाठ करने से जीवन में सकारत्मकता आती है। मनोरथ सिद्ध होता है।
धन-धान्य में वृद्धि होती है। 
वैभव, यश और कीर्ति बढ़ती है।
अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। 
साधक दीर्घायु होता है।
रोगों एवं दोषों का निवारण होता है।
किसी प्रकार यदि कोई तंत्र का प्रभाव हो तो वो भी दूर होता है।
जन्मपत्रिका में उपस्थित ग्रह दोषों का शमन होता है।

स्तोत्र को महाकाल मंत्र से संपुटित करके पढ़िए तो इसका आपको शीघ्र परिणाम प्राप्त होगा । 
इस स्तोत्र के साथ (पहले व आखिरी में) भगवान महाकाल जी के प्रिय मंत्र:- 
हूं हूं महाकाल प्रसीद प्रसीद ह्रीं ह्रीं स्वाहा
 का जाप 11 बार करना है, यह ऋषियो का भक्तों के लिए वरदान है ।

सर्वप्रथम मंत्र 11बार या 21बार या 108 बार पढ़े, फिर स्तोत्र का 1,5,7,9,11 या 108 बार पाठ करें-

~स्तोत्रम~
ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते।
महाकाल महायोगिन महाकाल नमोस्तुते।।
महाकाल महादेव महाकाल महा प्रभो।
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोस्तुते।।

महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोपहन।
महाकाल महाकाल महाकाल नमोस्तुते।।
भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः।
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशुना पतये नमः।।

उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः।
भीमाय च नमस्तुभ्यं मिशानाया नमो नमः।।
ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः।
सघोजात नमस्तुभ्यं शुक्ल वर्ण नमो नमः।।

अधः कालअग्नि रुद्राय रूद्ररूपाय वै नमः
स्थितुपति लयानाम च हेतु रूपाय वै नमः।।
परमेश्वर रूप स्तवं नील कंठ नमोस्तुते
पवनाय नमतुभ्यम् हुताशन नमोस्तुते।।

सोम रूप नमस्तुभ्यं सूर्य रूप नमोस्तुते।
यजमान नमस्तुभ्यं अकाशाया नमो नमः।।
सर्व रूप नमस्तुभ्यं विश्व रूप नमोस्तुते।
ब्रहम रूप नमस्तुभ्यं विष्णु रूप नमोस्तुते।।

रूद्र रूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोस्तुते।
स्थावराय नमस्तुभ्यं जंघमाय नमो नमः।।
नमः उभय रूपाभ्याम् शाश्वताय नमो नमः।
हुं हुंकार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः।।

सचिदानंद रूपाय महाकालाय ते नमः।
प्रसीद में नमो नित्यं मेघ वर्ण नमोस्तुते।
प्रसीद में महेशान दिग्वासाय नमो नमः।।
ॐ ह्रीं माया – स्वरूपाय सच्चिदानंद तेजसे
स्वः सम्पूर्ण मन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः ।।

स्तोत्र पठन के बाद फिर से मंत्र का जाप करे,मंत्र का जाप उतना ही करें जितना स्तोत्र पठन से पूर्व शुरुआत में किया था ।
यह स्तोत्र तो कहीं पर भी किसी भी शुद्ध स्थान पर पढ़ सकते हैं, स्नान करने के बाद किसी भी प्रकार के शुद्ध वस्त्र,आसन और किसी भी दिशा में मुख करके पढ़ सकते हैं।
 जो व्यक्ति असाध्य बीमारियों से ग्रसित हो वह बेड पर या कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते हैं ।

अंततः इतना ही सत्य है कि महाकाल सब जानते हैं, कब किसको किस समय पर क्या देना उचित है । 
सफलता प्राप्ति तक आप यह साधना दोहरा सकते हैं..अस्तु,
‘अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चांडाल का, काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकालका'

- सद्गुरुदेव श्री निखिलेश्वरानंद जी🙏🏻

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