व्यापार में हो रहा है लगातार नुकसान (घाटा) तो यह उपाय आपके लिए ही है-
आप कितना भी परिश्रम कर रहे हैं, किन्तु आपके व्यापार में, दुकान में, व्यवसाय में लगातार नुकसान घाटा उठाना पड़ रहा है, तो उसके लिए ही है यह छोटा-सा उपाय -
किसी भोजपत्र पर हल्दी की स्याही से अनार की कलम द्वारा निम्न मंत्र लिखें -
॥ ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं श्री मेव कुरु कुरु वांछित मेव ह्रीं ह्रीं नमः॥
इसे आप भोजपत्र या पीपल के अखंडित पत्ते पर लिख लें।
मंत्र लिखने के बाद अपने पूजा कक्ष में या अपने घर के किसी साफ स्थान पर पीले कपड़े के आसन पर स्थापित करें। धूप-दीप दिखावें। यदि उपलब्ध नहीं है तो मानसिक पूजा करलें।
फिर उपरोक्त मंत्र का 101 बार उच्चारण करें।
यह प्रयोग नवरात्रि में प्रारम्भ कर सकते हैं।
यदि आप नवरात्रि में प्रारम्भ नहीं कर पारहे तो, किसी भी शुक्रवार को प्रात: सूर्योदय के समय इस प्रयोग को प्रारम्भ कर सकते हैं।
इस मंत्र का एक सौ एक (101) बार उच्चारण नित्य चालीस (40 days) दिन तक करना है।
चालीसवें दिन पत्ते को उसी पीले आसन में लपेट लें और मौली/ कलावा / रसासूत्र से बांध कर अपने गल्ला, तिजोरी या लाकर में रखदें।
श्रद्धा भाव से प्रयोग करें और लाभ पायें।
॥जय नवदुर्गा मां॥
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