Tuesday, 10 January 2023

श्री लक्ष्मी प्रदाता गणपति स्तोत्रम्

सम्पूर्ण सौख्य प्रदान करनेवाले सच्चिदानन्दस्वरुप विघ्नराज गणेशको नमस्कार है। 
जो दुष्ट-अरिष्टका नाश करनेवाले परात्पर परमात्मा है । 
जो महापराक्रमी, लम्बोदर, सर्पमय यज्ञोपवीतसे सुशोभित, अर्धन्द्रधारी और विघ्न समूहका विनाश करनेवाले हैं, उन गणपतिदेवकी मैं वन्दना करता हूँ। 
ॐ हृॉं हृीं ह्रूँ हृैं हृौं हृः हेरम्बको नमस्कार है । 
भगवन् आप सब सिद्धियोंके दाता हैं, आप हमारे लिये सिद्धि-बुद्धिदायक हों । 
आपको सदा ही मोदक प्रिय हैं । 
आप मनके द्वारा चिन्तित अर्थको देनेवाले हैं । सिन्दूर और लाल वस्त्रसे पूजित होकर आप सदा वर प्रदान करते हैं । 
जो मनुष्य भक्तिभावसे युक्त हो इस गणपति स्तोत्रका पाठ करता है, स्वयं लक्ष्मी उसके देह-गेहको नहीं छोड़ती ।      

गुरु मंत्र का एक माला जप करें तत्पश्चात
ॐ ऐं हुं चतुर्थ स्वाहा!! 1 माला करें। 
अब इस श्रीलक्ष्मीप्रद श्रीगणपति स्तोत्र का अपनी सामर्थ्य के अनुसार 1 से 108 बार तक पाठ करें-
                     ।।स्तोत्र।। 
ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्य प्रदायिने।
दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने॥१॥

लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोपशोभितम् ।
अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूहविनाशनम्॥२॥  

ॐ हृॉं हृीं ह्रूँ हृैं हृौं हृः हेरम्बाय नमो नमः।
सर्वसिद्धिप्रदोऽसि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदो भव ॥३॥ 

चिन्तितार्थप्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः।
सिन्दूरारुणवस्त्रैश्र्च पूजितो वरदायकः ॥४॥

इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद् भक्तिमान् नरः।
तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुञ्चति ॥५॥

॥ इति श्रीलक्ष्मीप्रद श्रीगणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

https://youtube.com/shorts/Tv3cuEB-v7g?feature=share

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