Saturday, 24 September 2022

शारदीय #नवरात्रि विशेष अनुष्ठान क्रम-

#शारदीय #नवरात्रि महोत्सव अलौकिक सिद्धि पर्व पर निम्न क्रम में सम्पन्न करें साधना प्रयोग

प्रथम दिवस -
घट स्थापन नवग्रह पूजन, भैरव साधना, गणपति स्थापना एवं सिद्धिदात्री जगदम्बा चैतन्यता मंत्र जप।

द्वितीय दिवस -
राज राजेश्वरी महाविद्या साधना, शांति कार्य एवं लक्ष्मी वृद्धि हेतु रुद्रायामलोक्त महादुर्गा दीप दानप्रयोग | 

तृतीय दिवस -
चंडीउत्कीलन साधना, उच्चाटन, मोहन, वशीकरण, रहस्य सिद्धि हेतु सौभाग्य कृत्या, गृहस्थ सुख सिद्धि साधना,  प्रयोग | 

चतुर्थ दिवस-
अन्नपूर्णा साधना एवं भगवती भुवनेश्वरी प्रयोग, सायंकाल गुरुदेव शक्ति समन्वित मंत्र जप ।

पंचम दिवस -
प्रातः रोगनाश हेतु रोहिणी स्वरूपा शक्ति साधना,  सायंकाल दुःख दारिद्रय नाश हेतु शांभवी साधना प्रयोग |

षष्ठम दिवस-
अष्ट योगिनी सिद्धि, भद्रकाली साधना. सायंकाल अणिमा सिद्धि प्रयोग| कुण्डलिनी जागरण हेतु मंत्र जप | 

सप्तम दिवस -
कालिका एवं दुर्गा समन्वित शत्रु शांति, कार्य सिद्धि प्रयोग, सायंकाल गुरु मंत्र जप ।

अष्टमी दिवस -
ऐश्वर्य और महिमा प्राप्ति हेतु साधना, तांत्रोक्त गुरू पूजन एवं दस महाविद्या पूजन |

नवमी दिवस -
साधना पूर्णता हेतु हवन।

🙏💐🔱इस बार शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व में आराधक प्रत्येक दिवस में जगदंबा के विविध स्वरूपों तथा गुरु से संबंधित मंत्र को संपन्न कर सकते हैं।
  🔱नवरात्रि के प्रथम दिवस से अष्टमी तक विविध प्रकार की साधनाएं आराधक संपन्न कर सकते हैं जिनको दिवस के अनुसार ऊपर  लिखा गया है ☝️

Tuesday, 13 September 2022

ज्योतिष व शारदा पीठाधीश्वर अनंतश्रीविभूषित शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को सादर श्रद्धांजलि !!

ज्योतिष व शारदा पीठाधीश्वर अनंतश्रीविभूषित शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को सादर श्रद्धांजलि !!


स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 02 सितम्बर 1924 को मध्य प्रदेश राज्य के सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में पिता श्री धनपति उपाध्याय और मां श्रीमती गिरिजा देवी के यहां हुआ। माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा। 9 वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ कर धर्म यात्रायें प्रारम्भ कर दी थीं। इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली। 

यह वह समय था जब भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने की लड़ाई चल रही थी। जब 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगा तो वह भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और 19 साल की उम्र में वह 'क्रांतिकारी साधु' के रूप में प्रसिद्ध हुए। इसी दौरान उन्होंने वाराणसी की जेल में नौ और मध्यप्रदेश की जेल में छह महीने की सजा भी काटी। उन पर अंग्रजो के द्वारा ईनाम भी रखा गया था।

वे करपात्री महाराज की राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी थे। 1950 में वे दंडी संन्यासी बनाये गए और 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली। 1950 में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड-सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे।

🚩कोटि कोटि नमन

धर्म रक्षा के लिए नित्य अध्ययन, अध्यापन, उपदेश, पूजा पाठ बड़े बड़े यज्ञ आदि समय समय पर शंकराचार्य जी के ओर से चलता ही रहता है जो राष्ट्र के कल्याण के लिए होता है। 

आज शंकराचार्य जी ने देश को आचार्य कोटि के अनेक सन्यासी एवं विद्वान वरिष्ठ ब्रह्मचारी दिए हैं जो कि अन्य किसी पीठ ने नही दे सकें। ये सभी पूज्य सन्यासी एवं ब्रह्मचारी गण देश भर में जनता के मध्य जाते हैं और उनसे संवाद स्थापित कर धर्म का उपदेश करने सहित अनेक सेवा के प्रकल्प चलाते हैं । 

अपने इन्ही शिष्यों के दान के पैसे से शंकराचार्य जी देश भर में अनेक देवी देवताओं के मन्दिर, सन्तआश्रम, भोजनालय, गुरुकुल, विद्यालय, छात्रावास, चिकित्सालय, वृद्धाश्रम, महिलाश्रम, गौशाला आदि निर्माण करवा दिए हैं जो करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से हर वर्ष निःशुल्क सेवा देते हैं। 
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#नवरात्रि (गुप्त/प्रकट) #विशिष्ट मंत्र प्रयोग #दुर्गा #सप्तशती # पाठ #विधि #सावधानियां

जय जय जय महिषासुर मर्दिनी नवरात्रि के अवसर पर भगवती मां जगदम्बा संसार की अधिष्ठात्री देवी है. जिसके पूजन-मनन से जीवन की समस्त कामनाओं की पूर...