आज हम बात करते हैं बगलामुखी माता के एक दिव्य स्तोत्र का बारे में जिसका नाम है "सर्व सिद्धिप्रद बगलाष्टोत्तर शतनामस्तोत्रं" बगलामुखी माता का यह स्तोत्र आज सर्वसुलभ है, अधिकांश लोग इसके बारे में जानते होंगे , अमूमन हम बगलामुखी माता की आराधना वशी*करण, सम्मोहन, आकर्षण करने के साथ शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने, कोर्ट कचहरी, वाद-विवाद में जीत के लिए करते हैं, यह बहुत कम लोग जानते होंगे कि बगलामुखी माता की आराधना लक्ष्मी प्राप्ति, ग्रहपीड़ा निवारण और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति के लिए भी बेहद चमत्कारी है ।
इस स्तोत्र को पढ़ने का नियम इस प्रकार है :
आप किसी विशेष प्रयोजन व इच्छा के लिए इसका पाठ करना चाहते हैं तो 7/11/21/31/51 दिन पाठ का संकल्प लीजिये, स्नानादि के बाद आसन ग्रहण करें, सामने एक दीपक सरसों के तेल अथवा गाय के घी का प्रज्ज्वलित करें , अंजुली (हथेली) पर थोड़ा जल लेकर , माँ पीताम्बरा देवी को ध्यान में रखते हुए, अपनी इच्छा बोलते हुए कि मैं इस कार्य सिद्धि के लिए माँ का यह स्तोत्र जप कर रहा हूँ, मुझे सफलता प्रदान करें, यह कहते हुए जल भूमि पर छोड़ देवें, और 11 पाठ नित्य करें। संकल्प दिवस पूरा होने के पश्चात आप पाठ को प्रतिदिन एक बार पढ़ सकते हैं , अगर किसी कारणवश आप दीपक जला कर पाठ नही कर सकते तो वैसे भी कर सकते हैं ।
यह पाठ बेहद चमत्कारी और दिव्य है, आप भी इसे करिए आपको भी निश्चित ही कार्यसिद्धि होगी, और माँ पीताम्बरा देवी का आशीर्वाद प्राप्त होगा । पाठ इस प्रकार है :
सर्व सिद्धिप्रद बगलाष्टोत्तर शतनामस्तोत्रं
ब्रह्मास्त्ररूपिणी देवी माता श्रीबगलामुखी ।
चिच्छक्तिर्ज्ञानरूपा च ब्रह्मानन्दप्रदायिनी ॥१॥
महाविद्या महालक्ष्मी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।
भुवनेशी जगन्माता पार्वती सर्वमङ्गला ॥२॥
ललिता भैरवी शान्ता अन्नपूर्णा कुलेश्वरी ।
वाराही छिन्नमस्ता च तारा काली सरस्वती ॥३॥
जगत्पूज्या महामाया कामेशी भगमालिनी ।
दक्षपुत्री शिवांकस्था शिवरूपा शिवप्रिया ॥४॥
सर्वसम्पतकरी देवी सर्वलोकवशङ्करी ।
वेदविद्या महापूज्या भक्ताद्वेषी भयङ्करी ॥५॥
स्तम्भरूपा स्तम्भिनी च दुष्टस्तम्भनकारिणी ।
भक्तप्रिया महाभोगा श्रीविद्या ललिताम्बिका ||६||
मैनापुत्री शिवानन्दा मातङ्गी भूवनेश्वरी ।
नारसिंही नरेन्द्रा च नृपाराध्या नरोत्तमा ॥७॥
नागिनी नागपुत्री च नगराजसुता उमा ।
पीताम्बा पीतपुष्पा च पीतवस्त्रप्रिया शुभा ॥८॥
पीतगन्धप्रिया रामा पीतरत्नाचिता शिवा ।
श्रर्द्धचन्द्रधरी देवी गदामुद्गरधारिणी ॥९॥
सावित्री त्रिपदा शुद्धा सद्योरागविवर्धिनी ।
विष्णुरूपा जगन्मोहा ब्रह्मरूपा हरिप्रिया ॥१०॥
रुद्ररूपा रुद्रशक्तिश्चिन्मयी भक्तवत्सला ।
लोकमाता शिवा सन्ध्या शिवपूजनतत्परा ॥११॥
धनाध्यक्षा धनेशी च धर्मदा धनदा धना ।
चण्डदर्पहरी देवी शुम्भासुरनिर्वाणी ॥१२॥
राजराजेश्वरी देवी महिषासुरमर्दिनी ।
मधुकैटभहन्त्री च रक्तबीजविनाशिनी ॥१३॥
धूम्राक्षदैत्यहन्त्री च चण्डासुरविनाशिनी ।
रेणुपुत्री महामाया भ्रामरी भ्रमराम्बिका ॥ १४॥
ज्वालामुखी भद्रकाली बगला शत्रुनाशिनी ।
इन्द्राणी इन्द्रपूज्या च गुहमाता गुणेश्वरी ॥१५॥
वज्रपाशधरा देवी जिह्वामुद्गरधारिणी ।
भक्तानन्दकरी देवी बगला परमेश्वरी ॥१६॥
अष्टोत्तरशतं नाम्नां बगलायास्तु यः पठेत् ।
रिपुबाधाविनिर्मुक्तः लक्ष्मीस्थैर्यमवाप्नुयात् ॥१७॥
भूतप्रेतपिशाचाश्च ग्रहपीडानिवारणम् ।
राजानो वशमायांति सर्वेश्वर्य यव च विन्दति ॥ १८ ॥
नानाविद्यां च लभते राज्यं प्राप्नोति निश्चितम् ।
भुक्तिमुक्तिमवाप्नोति साक्षात् शिवसमो भवेत् ॥ १९॥
मूल पाठ संख्या १६ तक ही हैं।
शेष फल-भूती हैं।